देवप्रयाग
![]() |
देवप्रयाग |
देवप्रयाग, जो दो नदियों, अलकनंदा और भागीरथी के पवित्र संगम में परिवर्तित होता है, धार्मिक हिंदुओं के लिए एक तीर्थ स्थल है। संगम के बाद बनने वाली नदी पवित्र गंगा है, जो देश की सबसे पवित्र नदी है। देवप्रयाग मंदिरों से भरा है और कभी-कभी मंदिर शहर के रूप में जाना जाता है।
देखने के स्थल:
रघुनाथजी मंदिर:
श्री रघुनाथजी का पत्थर का मंदिर भगवान राम को समर्पित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह लगभग 10, 000 वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर स्थित है और इसमें अन्नपूर्णा देवी मंदिर, हनुमान मंदिर, शंकराचार्य मंदिर और गरुड़ मंदिर हैं। किंवदंती है, कि भगवान राम ने 14 साल का वनवास पूरा करने और लंका पर विजय हासिल करने के बाद यहां तपस्या की थी। आज लाखों लोग दुनिया भर से पूजा करने के लिए यहाँ आते हैं।
चंद्रबदनी मंदिर:
चंद्रबदनी मंदिर शक्ति की देवी शक्ति को समर्पित है। यह मंदिर सिरकंडा, केदारनाथ और बद्रीनाथ की चोटियों के कुछ सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है।
दशरथ शिला:
किंवदंतियों के अनुसार, दशरथशिला वह स्थान है जहां भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने यहां तपस्या की थी। एक छोटी सी धारा, शांता, जिसका नाम राजा की बेटी के नाम पर रखा गया है।
कैसे पहुंचा जाये:
वायु: देवप्रयाग का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो लगभग 91 किलोमीटर की दूरी पर है। जॉली ग्रांट सड़कों और टैक्सियों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और देवप्रयाग के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल: ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश और देवप्रयाग सड़कों से जुड़े हुए हैं। ऋषिकेश से देवप्रयाग के लिए टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
सड़क: देवप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर स्थित है और सड़क के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। सभी प्रमुख शहरों से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से देवप्रयाग की दूरी लगभग 312 किलोमीटर है।
एक टिप्पणी भेजें